Yuvraj Singh इंडियन टीम के शानदार प्लेयर थे। लेकिन Cancer होने की वजह से उनके करियर में ब्रेक आया और उन्होंने क्रिकेट से दूरी बना ली। इस प्लेयर का जज्बा इतना तगड़ा था कि उन्होंने कैंसर को भी मार दे दी और टीम में वापसी की। तभी अचानक ही न्यूज़ आती है कि युवराज सिंह ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर को जल्दी समाप्त कर दिया। Yuvraj Singh Early Retirement की खबर सुनकर सभी लोग दंग रह जाते हैं। आखिर उनके करियर को खत्म करने के पीछे किसका हाथ था चलिए जानते हैं–
Yuvraj Singh Early Retirement
भारत की सबसे धुरंधर खिलाड़ियों में से एक युवराज सिंह (Yuvraj Singh) ने उस समय काफी शानदार मैच खेला था जब भारत ने वनडे वर्ल्ड कप (One Day World Cup) और T20 का खिताब जीता था। उस समय महेंद्र सिंह धोनी(MS Dhoni) भारतीय टीम के कप्तान थे। भारत ने 2011 में जब वनडे विश्व कप (WorldCup) जीता था तभी युवराज सिंह (Yuvraj Singh) को पता चला था कि उन्हें कैंसर है। वो इलाज कराने के लिए अमेरिका चले गए और जल्द ही कैंसर को मात देकर भारतीय टीम में वापसी की।
कैंसर को हराने के बाद भी टीम को जिताया
Yuvraj Singh जब कैंसर से उबर कर वापस आए तो उनके इस जज्बे की प्रशंसा सभी ने की। नए उत्साह के साथ उन्होंने टीम को ज्वाइन किया। इसके बाद उन्होंने वनडे मैच में इंग्लैंड के खिलाफ एक सेंचुरी भी जड़ी। लेकिन कहते हैं ना सूर्य के भी डूबने का समय होता है। युवराज सिंह भारतीय टीम के लिए उस समय सूर्य के समान थे जिसकी चमक चरम पर थी लेकिन जल्द ही ये चमक फीकी पड़ने वाली थी।
2017 से आया Yuvraj Singh के Career में Downfall
Champions Trophy 2017 में Yuvraj Singh का प्रदर्शन निराशाजनक रहा जिसकी वजह से उन्हें टीम के बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और फिर उसके 2 साल बाद उन्होंने अचानक ही इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया।
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Early Retirement के पीछे था ये Indian Player
लल्लनटॉप के साथ बातचीत ने रॉबिन उथप्पा ने काफी गहरे राज खोले उन्होंने कहा “युवराज सिंह जिसने कैंसर को हरा दिया वो इंटरनेशनल टीम में वापस आना चाहता था। उन्होंने टीम को दो बार वर्ल्ड चैंपियन बनने में काफी अच्छा रोल प्ले किया था।”
लल्लनटॉप से बातचीत में रोबिन ने कहा कि “जब आप कप्तान बनने की जिम्मेदारी संभालते हैं तो आप कहते हैं कि उसके फेफड़ों की क्षमता कम हो गई है। जबकि आपने खुद उसे खिलाड़ी को स्ट्रगल करते हुए अच्छी तरह से देखा है।” रॉबिन का इशारा विराट कोहली की तरफ था।
टीम मैनेजमेंट को भी ठहराया जिम्मेदार
इतना ही नहीं उथप्पा नहीं ये भी खुलासा किया कि युवराज सिंह की मांग थी कि उनके फिटनेस टेस्ट में अंकों की कटौती की जाए लेकिन टीम मैनेजमेंट ने उन्हें कोई भी रियायत नहीं दी। हालांकि जब इससे पहले फिटनेस टेस्ट हुआ था तो उन्होंने इसे पास कर लिया था। टीम मैनेजमेंट ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया।
किसी भी खिलाड़ी के साथ नहीं हुआ ऐसा
केवल एक टूर्नामेंट में खराब प्रदर्शन की वजह से कोई भला बाहर कैसे किया जा सकता है। ऐसा किसी अच्छे प्लेयर के साथ नही होता। उसके बाद कभी भी मैनेजमेंट को उनकी याद नहीं आई। उस समय विराट कोहली कप्तानी संभाल रहे थे और टीम में जो कुछ भी होता था उनके अनुसार ही होता था। Yuvraj Singh को विराट कोहली ने अपना गुरु माना था। कोई अपने गुरु के साथ भला ऐसा कैसे कर सकता है। रॉबिन उथप्पा के अनुसार विराट कोहली अपनी कप्तानी के समय “My Way Or The Highway” की नेतृत्व शैली को अपनाते थे। कप्तानी के समय केवल रिजल्ट ही नहीं देखा जाता बल्कि आपका आपकी टीम और साथियों के साथ व्यवहार कैसा है, ये भी मायने रखता है।