Mahabharat: Dangerous curses were given, will their effect ever end?

Mahabharat युद्ध के बारे में हम सभी जानते हैं लेकिन शायद ये नहीं जानते की Mahabharat के दौरान कुछ ऐसे श्राप दिए गए जो आज भी अपना प्रभाव छोड़ते हैं। हमारे हिंदू धर्म ग्रंथो में बहुत से श्रापो का वर्णन किया गया है। श्राप देने के पीछे कोई ना कोई कारण रहता था। कुछ श्राप संसार की भलाई के लिए दिए जाते थे और कुछ श्राप लाते थे अनहोनी। Mahabharat के समय में भी कुछ ऐसे श्राप दिए गए जो अभी तक प्रभावी रूप से कम कर रहे हैं। 

Mahabharat के समय स्त्रियों को मिला था श्राप

महाभारत के समय जब युद्ध समाप्त हुआ था तो पांडवों की माता कुंती उनके पास गयी और बताया कि कारण उनका ज्येष्ठ भाई था। जब ये रहस्य पांडवो ने सुना तो सभी पांडव दुखी हुए। इतना ही नहीं युधिष्ठिर ने तो कर्ण का विधि विधान से संस्कार भी किया। पांचो भाई अपने ज्येष्ठ भाई कर्ण की मृत्यु से काफी दुखी थे और उसी समय युधिष्ठिर ने माता कुंती के समीप जाकर समस्त स्त्री जाति को श्राप दे डाला कि आज के बाद कोई भी स्त्री किसी भी बात को राज नहीं रख पाएगी। कोई भी गोपनीय रहस्य नहीं छुपा पाएगी। ये श्राप आज भी प्रभावित है और इस पर कहावत भी बन गई है कि स्त्री जाति कोई भी बात छुपा नहीं पाती। 

Mahabharat में श्री कृष्ण ने दिया अश्वत्थामा को श्राप

महाभारत के समय जब युद्ध खत्म होने वाला था तब अश्वत्थामा ने धोखे से पांडव के पुत्र को मार दिया था इस पर श्री कृष्ण भगवान उनका पीछा करते हुए महर्षि वेदव्यास के आश्रम तक गए। तभी अश्वत्थामा ने पांडवों पर ब्रह्मास्त्र चला दिया। जवाब में अर्जुन ने भी अपना ब्रह्मास्त्र छोड़ा। महर्षि वेदव्यास ने दोनों अस्त्रों को टकराने से रोका। उन्होंने अश्वत्थामा और अर्जुन दोनों को कहा कि दोनों अपने ब्रह्मास्त्र वापस ले लें। अर्जुन ने तो अपना ब्रह्मास्त्र वापस ले लिया लेकिन अश्वत्थामा को ये विद्या नहीं आती थी। इसलिए उन्होंने अपने ब्रह्मास्त्र की दिशा बदल दी और अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की ओर कर दी। श्री कृष्ण ने उस समय क्रोधित होकर अश्वत्थामा को श्राप दिया कि तुम 3000 वर्षों तक इस पृथ्वी पर भटकते रहोगे। तुम्हारे शरीर से लहू और पीब की दुर्गंध आती रहेगी इसलिए तुम मनुष्यों के बीच नहीं रह पाओगे। तुम वन में ही भटकते रहोगे और आज भी ऐसा माना जाता है कि अश्वत्थामा जिंदा है। 

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श्रंग ऋषि ने दिया परीक्षित को ये श्राप

महाभारत के समय जब सभी पांडव स्वर्ग लोक की तरफ जा रहे थे तो उन्होंने अपना पूरा राज्य परीक्षित को सौंप दिया था। परीक्षित अभिमन्यु के पुत्र थे। उनके शासनकाल में सभी प्रजा बहुत खुश थी। एक बार की बात है राजा परीक्षित वन जाते हैं तभी वहां शमिक ऋषि दिखाई दिए जो तपस्या कर रहे थे। उन्होंने मौन व्रत धारण किया हुआ था। राजा ने उनसे कई बार बात करने का प्रयास किया लेकिन शमीक ऋषि की तरफ से कोई भी उत्तर नहीं पाया। ये देखकर राजा को क्रोध आया और उन्होंने एक मरा हुआ सांप शमीक ऋषि के गले में डाल दिया। जब ये बात शमीक ऋषि के पुत्र श्रृंगी को पता चली तो वो बहुत क्रोधित हुए और राजा परीक्षित को ये श्राप दिया कि तक्षक नाक के डसने से राजा परीक्षित की मृत्यु हो जाएगी। ऐसा मानना था कि जब राजा परीक्षित की मृत्यु होगी उसके बाद से ही कलयुग पृथ्वी पर हावी हो जाएगा। 7 दिन बाद तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डसा और तबसे कलयुग पूरी पृथ्वी पर फैल गया। 

जब उर्वशी ने दिया अर्जुन को श्राप

उर्वशी एक अप्सरा थी और महाभारत के समय में जब अर्जुन दिव्यास्त्र की प्राप्ति के लिए स्वर्ग गए तो उर्वशी उन्हें देखकर काफी आकर्षित हुई। लेकिन अर्जुन ने उन्हें मां के समान दर्जा दिया। इससे उर्वशी को क्रोध आ गया और उसने अर्जुन को श्राप दिया कि वो नपुंसक हो जाएंगे और उन्हें स्त्रियों के बीच नर्तक बनकर रहना पड़ेगा। ये बात जब देवराज इंद्र को अर्जुन ने बताई तो इंद्र ने अर्जुन को कहा कि तुम्हारे वनवास के समय ये श्राप वरदान बन जायेगा और अज्ञातवास  के समय नर्तिका के वेश की वजह से तुम पर कौरवों की नज़रें नहीं पड़ेगी।

Shailja Mishra is a writer, blogger & a content curator by profession. In addition, Shailja also worked as a translator. She thinks that writing is a way to express your thoughts; it is the best way...